डिप्लोमा इन जैनोलोजी कोर्स का अध्ययन परमपूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी द्वारा प्रातः 6 बजे से 7 बजे तक प्रतिदिन पारस चैनल के माध्यम से कराया जा रहा है, अतः आप सभी अध्ययन हेतु सुबह 6 से 7 बजे तक पारस चैनल अवश्य देखें|
१८ अप्रैल से २३ अप्रैल तक मांगीतुंगी सिद्धक्ष्रेत्र ऋषभदेव पुरम में इन्द्रध्वज मंडल विधान आयोजित किया गया है |
२५ अप्रैल प्रातः ६:४० से पारस चैनल पर पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी के द्वारा षट्खण्डागम ग्रंथ का सार प्रसारित होगा |
आत्मानुभव :
आत्मानुभव :
नाक न पकरै वासना, कान गहै न परतीति।।
आत्मानुभव रूपी पुष्प की विलक्षणता ही कुछ निराली है। इसकी सुगंध को न नाक ग्रहण कर पाती है और न कान इसका संगीत सुन सकते हैं।
अमली चाखत ही मरै, घूमै सब संसार।।
आत्मानुभव रूप रस का प्याला एक ऐसा विलक्षण रस का प्याला है, जिसका आस्वादन करते ही, व्यक्ति आत्मानुभव में लीन हो जाता है। जिसने इस रस का पान नहीं किया, वह इस संसार में ही भटकता रहता है।