२७ अप्रैल से २९ अप्रैल तक ऋषभदेवपुरम् मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र में लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा आयोजित की गई है |
२५ अप्रैल प्रातः ६:४० से प्रतिदिन पारस चैनल पर पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी के द्वारा षट्खण्डागम ग्रंथ का सार प्रसारित होगा |
श्रेणी:साधू-साध्वियां
इस जैन साधू एवं साध्वियाँ नाम की श्रेणी में सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज के प्राचीन एवं अर्वाचीन साधु-साध्वियों (चतुर्विध संघ) के परिचय प्रस्तुत किये जाएँगे ।
उनकी त्याग-तपस्या से देश का मस्तक सदैव गौरव से ऊँचा रहा है ।
जैन रामायण पद्मपुराण में आचार्य श्री रविषेण स्वामी ने कहा है-
षष्ठमंशं नृपस्तस्य,लभते परिपालनात् ।।१।।
अर्थात् जिस देश का आश्रय लेकर साधुजन तपस्या करते हैं, उस देश के राजा को उनकी तपस्या का छठा भाग पुण्य स्वयमेव प्राप्त हो जाता है ।
साधु-सन्तों की श्रृंखला में अनगिनत साधुओं ने विभिन्न माध्यमों से समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाया है ।
उनमें से ही कतिपय प्राचीन एवं अर्वाचीन साधु- साध्वियों के परिचय यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं ।
उपश्रेणियाँ
इस श्रेणी में निम्नलिखित १४ उपश्रेणियाँ हैं, कुल उपश्रेणियाँ १४
आउएऐ |
कगपब |
भमव |