डिप्लोमा इन जैनोलोजी कोर्स का अध्ययन परमपूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी द्वारा प्रातः 6 बजे से 7 बजे तक प्रतिदिन पारस चैनल के माध्यम से कराया जा रहा है, अतः आप सभी अध्ययन हेतु सुबह 6 से 7 बजे तक पारस चैनल अवश्य देखें|
१८ अप्रैल से २३ अप्रैल तक मांगीतुंगी सिद्धक्ष्रेत्र ऋषभदेव पुरम में इन्द्रध्वज मंडल विधान आयोजित किया गया है |
२५ अप्रैल प्रातः ६:४० से पारस चैनल पर पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी के द्वारा षट्खण्डागम ग्रंथ का सार प्रसारित होगा |
10. दीक्षा के समय का भजन
दीक्षा के समय का भजन
सब अथिर जान संसार, तजा घर बार, ऋषभप्रभु स्वामी।
फिर नहीं किसी की मानी।
पहले तो ब्याह रचाया था, सबको सब कुछ सिखलाया था।
राजाओं ने भी राजनीति तब जानी-
फिर नहीं किसी की मानी।।1।।
इक दिन नीलांजना नृत्य हुआ, प्रभु का मन पूर्ण विरक्त हुआ।
दे पुत्र भरत को राज्य बने वे ज्ञानी-
फिर नहीं किसी की मानी।।2।।
प्रभु नगरि अयोध्या छोड़ चले, पहुँचे प्रयाग के उपवन में।
हुई केशलोंच से उनकी शुरू कहानी, फिर नहीं किसी की मानी।।
फिर नहीं किसी की मानी।।3।।
वटवृक्ष तले ध्यानस्थ हुए, केवलज्ञानी भी यहीं हुए।
‘‘चन्दनामती’’ यह तीर्थ उन्हीं की निशानी, फिर नहीं किसी की मानी।।
फिर नहीं किसी की मानी।।4।।