गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ससंघ का 13 दिसंबर को महमूदाबाद से लखनऊ की ओर मंगल विहार ।
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कवि :
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कवि :
किमुलूकभयाद् धुन्वन् ध्वान्तं नोदेति भानुमान्।।
—आदिपुराण : १-७५
दूसरों के भय से कविजन (विद्वान) कभी डरते नहीं हैं। क्या उल्लुओं के भय से सूर्य अंधकार का नाश करना छोड़ देता है ?