दशलक्षण धर्म में
दशलक्षण धर्म में
प्रतिक्रमण ग्रंथत्रयी में सत्य धर्म को पहले लिया है-
श्री कुन्दकुन्ददेव कृत ‘द्वादशानुप्रेक्षा’ में ‘सत्य’ धर्म को पहले लिया है—
तवचागमकिंचण्हं बम्हा इदि दसविहं होदि[२]।।७०।।
उत्तमक्षमा, उत्तममार्दव, उत्तमआर्जव, उत्तमसत्य, उत्तमशौच, उत्तमसंयम, उत्तमतप, उत्तमत्याग, उत्तमआकिञ्चन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य ये मुनिधर्म के दश भेद हैं। ‘मूलाचार प्रदीप’ ग्रन्थ में संस्कृत टीका में ‘सत्य’ धर्म को पहले लिया है—
आद्याक्षमोत्तमा श्रेष्ठं मार्दव चार्जवोत्तमम्। सत्यं शौचं महान् संयमस्तपस्त्यागसत्तमः।।५८।।
आकिंचन्यं परं ब्रह्मचर्यं सल्लक्षणान्यपि। इमानि धर्ममूलानि श्रमणानां दशैव हि[३]।।५९।।
अथानंतर —अब आगे दश प्रकार के धर्मों का स्वरूप कहते हैं। ये दश प्रकार के धर्म मुनियों के लिये सुख के समुद्र हैं और मोक्षरूपी नगर में जाने के लिीए मार्ग का साक्षात् पाथेय हैं मार्ग व्यय है।।५७।। उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आिंकचन्य, उत्तम ब्रह्मचर्य यह मुनियों के दश धर्म हैं और समस्त धर्मों का मूल हैं।।५८-५९।।
तत्त्वार्थवृत्ति-ग्रन्थ में ‘सत्य’ धर्म को पहले लिया है—
उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य ये दस धर्म हैं।।६।। पद्मनन्दिपंचविंशतिका ग्रन्थ के धर्मोपदेशामृत में दशलक्षण धर्म के कथन में मुद्रित प्रति पृ. ३५ से ४६ तक, श्लोक ८२ से १०६ तक में सत्य धर्म को पहले लिया है। सर्वार्थसिद्धि ग्रन्थ में ‘शौचधर्म’ को पहले लिया है।
उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य यह दस प्रकार का धर्म है।।६।।
तत्त्वार्थवृत्ति-श्री भास्करनन्दि विरचित में ‘शौच’ धर्म को पहले लिया है—
सूत्रार्थ — उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आिंकचन्य और ब्रह्मचर्य ये दस धर्म हैं। तत्त्वार्थराजर्वाितक ग्रंथ में ‘शौच धर्म’ पहले है।
सूत्रार्थ — उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिञ्चन्य और ब्रह्मचर्य ये दस धर्म हैं। तत्त्वार्थसूत्र के वाचन में या कहीं पर भी प्रवचन में सत्य या शौच धर्म को पहले लेने में हठवाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि दोनों ही पक्ष आगम में मान्य हैं।