चालीसा का अभिप्राय "चालीस पदों के समूह" से है | इन चालीस पदों में इष्ट के गुणों की महिमा का वर्णन और स्तुति की जाती है | ये संस्कृत या क्षेत्रीय या संस्कृत भाषा में रचित हो सकते हैं |
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