स्थापना-गीता छंद
श्री शांति कुंथू अर जिनेश्वर, जन्म ले पावन किया।
दीक्षा ग्रहण कर तीर्थ यह, मुनिवृन्द मनभावन किया।।
निज ज्ञान ज्योती प्रकट कर, शिवमार्ग को प्रकटित किया।
इस हस्तिनापुर क्षेत्र को, मैं पूजहूँ हर्षित हिया।।
ॐ ह्रीं हस्तिनापुरक्षेत्रे गर्भ-जन्म-तपो-ज्ञान-कल्याणकधारका: श्रीशांति-कुंथु-अरतीर्थंकरा:! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।
ॐ ह्रीं हस्तिनापुरक्षेत्रे गर्भ-जन्म-तपो-ज्ञान-कल्याणकधारका: श्रीशांति-कुंथु-अरतीर्थंकरा:! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।
ॐ ह्रीं हस्तिनापुरक्षेत्रे गर्भ-जन्म-तपो-ज्ञान-कल्याणकधारका: श्रीशांति-कुंथु-अरतीर्थंकरा:! अत्र मम सन्निहितो भवत भवत वषट् सन्निधीकरणं।
-चामर छंद-
तीर्थ रूप शुद्ध स्वच्छ सिंधु नीर लाइये।
गर्भवास दु:खनाश तीर्थ को चढ़ाइये।।
हस्तिनागपुर पवित्र तीर्थ अर्चना करूँ।
तीर्थनाथ पाद की सदैव वंदना करूँ।।१।।
ॐ ह्रीं शांति-कुंथु-अरतीर्थंकर-गर्भ-जन्म-तपो-ज्ञानकल्याणकपवित्र-हस्तिनापुरक्षेत्राय जलं निर्वपामीति स्वाहा।