06. भरत का राज्याभिषेक
भरत का राज्याभिषेक
अब देखें इधर अयोध्या में, राज्याभिषेक भरतेश्वर का ।
करके चल दिए पिता दशरथ, जहाँ मेला लगा मुनीश्वर का ।।
दीक्षा लेकर राजन दशरथ ,शुभ ध्यान योग में लीन हुए।
यहाँ भरत महल में रहकर भी, मुनिसदृश धर्म पालन करते।
जल में हो भिन्न कमल जैसे, भोगों से अनासक्त रहते ।।
असिधारा व्रत पाला इनने, ज्ञानीजन सब कह गये यही।
जंगल—जंगल और ग्राम—शहर, श्रीराम जहाँ भी जाते थे।
करके कल्याण सभी जन का, आगे ही बढ़ते जाते थे।।
राजागण भक्ति से प्रेरित हो, नगर निमंत्रण देते हैं।
जंगल में ही तब बसा दिया, वह रामपुरी बन गयी वहीं।
श्रीराम जहां पर पग रखते, वहाँ कमल बिछाते थे नृप ही।।
रत्न औ सुवर्ण के आसन पर, श्रीरामचंद्र को बैठाते।
इक दिवस राम बोले लक्ष्मण!,इन सबसे हमें प्रयोजन क्या ।
हम चलकर ऐसी जगह रहे, जिसकी खातिर यह राज्य तजा।।
है नदीपार दंडकवन जो, जहाँ भूमीचर नहिं रहते हैं।