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==<center><font color=brown>'''पूज्य आर्यिका श्री रत्नमती माताजी का परिचय'''</font color></center>== | ==<center><font color=brown>'''पूज्य आर्यिका श्री रत्नमती माताजी का परिचय'''</font color></center>== | ||
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आदिब्रह्मा भगवान [[ऋषभदेव]] की जन्मभूमि [[अयोध्या]] और उसके आस-पास के क्षेत्र को भी अवध के नाम से जाना जाता है । वैसे इन प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और उनके प्रथम पुत्र चक्रवर्ती सम्राट् [[भरत]] के समय वह अयोध्या नगरी १२ योजन लम्बी थी अत: ९६ मील होने से लखनऊ, टिकैतनगर, त्रिलोकपुर, बाराबंकी, महमूदाबाद आदि नगर उस समय अयोध्या नगरी की पवित्र भूमि की सीमा में विद्यमान थे । वस्तुत: आज भी अयोध्या तीर्थ की पवित्रता से सम्पूर्ण अवध का वातावरण सुवासित, धर्मपरायण एवं परम पवित्र है । | आदिब्रह्मा भगवान [[ऋषभदेव]] की जन्मभूमि [[अयोध्या]] और उसके आस-पास के क्षेत्र को भी अवध के नाम से जाना जाता है । वैसे इन प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और उनके प्रथम पुत्र चक्रवर्ती सम्राट् [[भरत]] के समय वह अयोध्या नगरी १२ योजन लम्बी थी अत: ९६ मील होने से लखनऊ, टिकैतनगर, त्रिलोकपुर, बाराबंकी, महमूदाबाद आदि नगर उस समय अयोध्या नगरी की पवित्र भूमि की सीमा में विद्यमान थे । वस्तुत: आज भी अयोध्या तीर्थ की पवित्रता से सम्पूर्ण अवध का वातावरण सुवासित, धर्मपरायण एवं परम पवित्र है । |
२२:०६, ३० नवम्बर २०२० का अवतरण
नवनिधि व्रत
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